खीरा और ककड़ी (निर्मित और संरक्षित)

ककड़ी शब्द का प्रयोग सामान्यतः चटपटे अचारी खीरे के लिए किया जाता है । ककड़ी और व्यवसायिक खीरे एक ही प्रजाति (कुकुमीज़ सेटिवस) के हैं परंतु ये पृथक कृषि समूहों के अंतर्गत आते हैं । इस फसल की कटाई तब होती है जब इनकी लम्बाई 4 से 8 से.मी (1 से 3 इंच) की होती है तथा कैन्स और मर्तबानों में सिरके के साथ (प्रायः मसालेदार जड़ीबूटियों के साथ, विशेष रूप से सोआ; अतः “सोआ अचार”) या खारे पानी के साथ इनका अचार डाला जाता है । आज भारत, विश्व भर की हर बढ़ती हुई आवश्याकता के लिए बेहतरीन ककड़ी की कृषि, प्रसंस्करण और निर्यातकों के स्त्रोत के रूप में उभर कर आया है ।

भारत में ककड़ी की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात का आरंभ 1990 के दशक में हुआ । दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में एक मामूली शुरुआत हुई और बाद में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्यों तक इसका विस्तार हुआ । भारत ने वर्ष 2016-17 के दौरान प्रमुख निर्यात लक्ष्यों संयुक्त राज्य, रूस, बेलजियम, फ्रांस और स्पैन को 180820.87 मीट्रिक टन खीरे और ककड़ी का निर्यात 942.72 करोड़ / 141.02 मिलियन अमरीकी डॉलर की कीमत पर किया।

ककड़ी की पैदावार लघु और सीमांत किसानों की देख-रेख में होती है । वर्तमान में 1,00,000 से अधिक लघु और सीमांत किसान ककड़ी उत्पादन के कार्य में संलग्न है । ककड़ी की खेती विशेष रुप से “अनुबंध कृषि” के आधार पर की जाती है । विश्व के बाज़ारों के लिए बहुत ही उच्च गुणवत्ता ककड़ी का उत्पादन करने के लिए खेती के तरीकों जैसे किसानों द्वारा अपानाये जा रही प्रक्रियाओं, मानकों, प्रसंस्करण गतिविधियों इत्यादि को उत्कृष्ट बनाते हुए भारतीय ककड़ी उत्पादकों को गुणवत्ता उत्पादन के अनुपालन हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है । ये वो उद्योग है जिसने अनुबंध कृषि का एक सच्चा और सफल मॉडल तैयार किया है जिसके साथ उद्योग अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की आवश्याकता के अनुसार अंतिम उपज पर एक अच्छी गुणवत्ता नियत्रंण करने में सक्षम है ।

प्रारंभ में प्रसंस्कृत ककड़ी को थोक पैकिंग में निर्यात किया गया था और 2001 के बाद से इसे “रेडी-टू-ईट जार” में निर्यात किया जा रहा है । भारत में आज ककड़ी का उद्योग पूरी तरह से अभिविन्यस्त हो चुका है और इसके निर्यात मुख्य रूप से दो श्रेणियों में से हैं :


अ) प्रावधिक संरक्षण (सिरके/एसीटिक अम्ल और नमकीन पानी में संरक्षण) :

ककड़ी का निर्यात 220 लीटर थोक रूप में किया जा रहा है, जो फूड ग्रेड एच.डी.पी.ई ड्रम्स (उच्च घनत्व पॉली एथीलीन) में पैक की जाती हैं । बाद में आयातकों द्वारा उपभोक्ताओं की आवश्यकता के अनुसार इनकी दोबारा छोटी रेडी टू ईट उपभोक्ता पैकिंग की जाती है ।


ब) सिरके में संरक्षण :

ये रेडी टू ईट ककड़ियां हैं जो छोटे मर्तबानों और कैन्स में उपलब्ध हैं । कृषि के साथ निर्माण प्रक्रिया में गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली का सतर्कतापूर्ण अनुकरण किया जाता है । उपभोक्ता विनिर्देश, खाद्य सुरक्षा और अनुपालन से मूल्य श्रृंखला को सुनिश्चित किया जाता है । आयातक देशों की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए ये उद्योग सक्रिय है। उपभोक्ताओं की आवश्यक्ता के अनुसार एच.ए.सी.सी.पी/आई.एस.ओ/बी.आर.सी आदि प्रसंस्करण इकाइयों की बहुसंख्या ने गुणवत्ता प्रणाली लागू की है।


भारत तथ्य एवं आंकड़े :

देश ने वर्ष 2022-23 के दौरान पूरे विश्व भर में 227699.04 मीट्रिक टन खीरे और ककड़ी का निर्यात 1761.10 करोड़ / 218.74 मीलियन अमरीकी डॉलर की कीमत पर किया।


प्रमुख निर्यात गंतव्य (2022-23): संयुक्त राज्य अमरीका, रूस, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी।