भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र उत्पादन, वृद्धि, खपत और निर्यात की दृष्टि से सबसे बड़ा क्षेत्र है। भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में फल और सब्जियां, मसाले, मांस और पोल्ट्री, दूध और दूध उत्पाद, मदिरा, मत्स्य उद्योग, वृक्षारोपण अनाज प्रसंस्करण और उपभोक्ता उत्पाद समूह जैसे मिष्ठान्न, चाकलेट और कोको उत्पाद, सोया आधारित उत्पाद, मिनरल जल, उच्च प्रोटीन खाद्य आदि शामिल हैं। अगस्त 1991 में उदारीकरण से लेकर खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्र के संबंध में परियोजना लगाने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुए है। इसके अलावा, सरकार ने निवेश को ध्यान में रखते हुए संयुक्त उपक़्रम, विदेशी सहयोग, औद्योगिक लाइसेंस और 100 % निर्यात उन्मुख इकाईयों के प्रस्ताव स्वीकृत किए हैं। वर्ष 2022-23 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 7194.13 करोड़ रुपए/ 895.34 अमरीकी मिलयन डॉलर होने का अनुमान है ।
वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद 59,580.72 करोड़ रुपये / 7,408.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें आम का गोडा (1189.66 करोड़ / 147.60 मिलियन अमेरिकी डॉलर), प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (4987.36 करोड़ रुपये / 620.09 मिलियन अमेरिकी डॉलर), खेड़ा और ककड़ी शामिल थे। (सूखी एवं संरक्षित) (1761.10 रुपए/ 218.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर), प्रसंस्कृत फल, एस एंड मेवे (4754.83 रुपए/ 590.21 मिलियन अमेरिकी डॉलर), डालें (5397.86 रुपए/ 672.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर), कम्युनिस्ट पार्टी (6735.25 रुपए/ 831.60 मिलियन अमेरिकी डॉलर) ग्वारगम डॉलर (4944.60 रुपए/ 617.14 मिलियन अमेरिकी डॉलर), गुड़ एवं कन्फेक्शनरी (4330.07 रुपए/ 537.01 मिलियन अमेरिकी डॉलर), कोको उत्पाद (1242.13 रुपए/ 154.54 मिलियन अमेरिकी डॉलर), अनाज निर्मित उत्पाद (6051.60 रुपए/ 752.13 मिलियन अमेरिकी डॉलर) ), गेहूं पेय (2546.44 रुपए/ 316.24 मिलियन अमेरिकी डॉलर), विभिन्न निर्मित उत्पाद (8889.18 रुपए/ 1106.42 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और मिल के उत्पाद (2223.94 रुपए/ 282.31 मिलियन अमेरिकी डॉलर), निर्मित पशु चारा (3587.04 करोड़ रुपए / 445.60 मिलियन अमेरिकी डॉलर) अमेरिकी डॉलर) और अन्य तेल केक/थोस स्ट्राइक (939.66 करोड़ रुपये/ 116.70 मिलियन अमेरिकी डॉलर)।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मुख्यतः निर्यात उन्मुख है। भारत की भौगोलिक स्थिति इसे यूरोप, मध्य एशिया, जापान, सिंगापुर, थाइलैण्ड, मलेशिया और कोरिया से सम्पर्क की अद्वितीय सुविधा प्रदान करती है। इसका एक उदाहरण भारत की स्थिति की वजह से भारत और खाड़ी क्षेत्र के मध्य कृषि प्रसंस्कृत खाद्य के व्यापार की मात्रा है।
विश्व अर्थव्यवस्था में खुदरा व्यापार (खाद्य एवं किराना खुदरा बाजार ) एक सबसे बड़ा क्षेत्र है जो कि भारत में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इसके वर्ष 2022 से 2030 तक 3.0% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की आशा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की गैर प्रतिस्पर्धात्मकता की एक मुख्य वजह विपणन प्रणाली की लागत और गुणवत्ता है। विश्व में 72 प्रतिशत से अधिक खाद्य की बिक़्री सुपर स्टोर्स के माध्यम से होती है। भारत में काफी संभावनाएं हैं और एक बड़े खुदरा व्यापार परिवर्तन के लिए अनुकूल स्थिति है। भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र छोटा होने के साथ सभी विश्व बाजारों में भारत काफी संभावना से भरा है और सभी विश्व बाजारों से कम प्रतिस्पर्धी भी है।