पुष्पकृषि एवं बीज
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भारत में कई कृषि – जलवायु क्षेत्र हैं जो नाजुक और कोमल फूलों की खेती के लिए अनुकूल है। उदारीकरण के पश्चात् के दशक के दौरान पुष्पकृषि ने निर्यात के क्षेत्र में विशाल कदम रखा है। इस युग में सतत उत्पादन के स्थान पर वाणिज्यिक उत्पादन के साथ गतिशील बदलाव देखा गया है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बागवानी डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में पुष्पकृषि का क्षेत्र 283 हजार हेक्टेयर था, जिसमें 2295 हजार टन शिथिल फूलों और 833 हजार टन कटे फूलों का उत्पादन हुआ (स्रोतः कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय), तीसरा अग्रिम अनुमान, 2021-22)। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बागवानी डेटाबेस के अनुसार, वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में पुष्पकृषि का कुल क्षेत्रफल 285 हजार हेक्टेयर था और उत्पादन 3194 हजार मीट्रिक टन था। पुष्पकृषि अब कई राज्यों में व्यावसायिक रूप से की जाती है, जिनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल अन्य उत्पादक राज्यों जैसे मिजोरम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, हरियाणा, असम और छत्तीसगढ़ से आगे निकल गए हैं। भारतीय पुष्पकृषि उद्योग में गुलाब, रजनीगंधा, ग्लैड्स, एन्थ्यूरियम, कारनेशन और गेंदा आदि जैसे फूल शामिल हैं। खेती खुले खेत की स्थितियों के साथ-साथ अत्याधुनिक पॉली और ग्रीनहाउस में की जाती है।


भारत में वर्ष 2022-23 में फूलों का कुल निर्यात 707.81 करोड़ रुपए/ 88.38 मिलियन अमरीकी डॉलर का रहा। प्रमुख आयातक देश संयुक्त राज्य अमरीका, नीदरलैण्ड, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी थे। भारत में 300 से अधिक निर्यातोन्मुख इकाईयां हैं। फूलों की 50% से अधिक इकाईयां कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में है। विदेशी कम्पनियों से तकनीकी सहयोग के साथ भारतीय पुष्पकृषि उद्योग विश्व व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की ओर अग्रसर है।


भारत फल और सब्जी के बीजों का भी निर्यात करता है और वर्ष 2022-23 के दौरान 827.13 करोड़ रुपए/ 103.28 मिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात किया गया। संयुक्त राज्य अमरीका, नीदरलैण्ड, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात और थाइलैंड भारत के फल और सब्जी बीज के मुख्य बाजर रहे हैं।

 

पुष्पकृषि

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फलों और सब्जियों के बीज

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